बैतुल जिले की मुलताई तहसील में स्थित बिरुल बाजार एक बड़ा गाँव है, जिसकी जनसंख्या करीब 6000 से अधिक है। बिरुल बाजार के निवासियो का मुख्य व्यवसाय खेती है । हम कुछ युवा साथियों ने मिलकर रेन वाटर हारवेस्टिंग पर कुछ कार्य सम्पन्न किया है जिसकी जानकारी हम नीचे दे रहे है:
हमने देखा कि गाँव ग्रीष्मकाल में पीने और सिंचाई के पानी की बेहद कमी से जूझ रहा है। किसान पानी की आपूर्ति के लिए हर वर्ष ट्यूबवेल बना रहे हैं, जिससे गांव का जमीनी वाटर लेवल बहुत ही नीचे करीबन 700 फीट तक चला जा रहा है। गाँव में बोरवेलों की संख्या करीब 3000 से 3500 हो गई है और इनमें से अधिकांश सूखे पड़े है। गर्मियों के दिनों में 8-15 दिन बाद पीने का पानी मिलता हैं । सबसे बड़ी संकट की बात है कि जनवरी माह के आते आते बहुत ही कम कुंओ और ट्यूबवैलों में पानी बचता है। कुओं में पानी नही होने से पीने के पानी के लिए तक स्थानीय लोगों को मुसीबत झेलना पड़ता है। इन सब समस्याओं से निपटने के लिए कुछ जल संचयन के छुट मुट प्रयास किए गए लेकिन वे काफी नही थे।हम युवावों ने मिलकर गाँव में जल जागरूकता अभियान चलाया, जिसमें गांव में निम्नलिखित तरीकों से गांव वालों के बीच जानकारी का प्रचार और प्रसार किया।
1. लोगो को एक जगह इकट्ठा कर समझाने हेतु एक उपाय योजना बनाई गई जिसमें सबसे पहले गांव के हर घर में लिफाफे में बंद एक पत्र बांटा जो एक सरकारी legal notice की तरह दिखता था। जिसे रात को लोगो के घर मे चोरी छिपे डाल दिया गया। जिससे लोगो मे संशय बना रहे कि आखिर नोटिस भेजा किसने है? जिसमें गाँव में पानी की कमी की भयंकर समस्या की जानकारी दी, अंत मे लिखा "आपकी अपनी धरती माता" और लोगों को इसके उपर विचार करने के लिए प्रेरित किया।
2. इसके बाद गाँव के प्रमुख स्थान गुजरी चौक में प्रोजेक्टर द्वारा एक पावर प्वाइंट प्रेजेन्टेशन देकर सेमिनार का आयोजन किया और लोगों को पुराने दिनों में पानी की प्रचुर मात्रा में उपलब्धता की याद दिलाकर पानी के वर्तमान स्थिति और जल स्तर को समझाया गया । इसमें बताया गया कि किस तरह पेड़ों को अन्धाधुन तरीके से काटा गया, कैसे जलस्तर नीचे जाने से बड़ी-बड़ी आम की अमराईया तथा अधिकतर बड़े पेड़ सूख गए। लोगों को समझाया कि कैसे बारीश के पानी का संचयन कर जमीनी जलस्तर कैसे ऊपर लाया जा सकता है। साथ ही वर्षा जल संचयन के कई सारे तरीके बताएं। गाव में कुछ लोगों ने इसे सफलता पूर्वक अपनाया इसके उपर उनकी फिल्म दिखाई गई।
3. हम युवाओं व गाँव के अन्य उत्साही लोगों ने आपस में चंदा इकट्ठा कर गांव भर में प्रमुख स्थानों पर बैनर और पोस्टर छाप कर लगाए।
इसके बाद हमने स्वयं गाँव वालों के सामने प्रत्यक्ष उदहारण रखने का निर्णय लिया। चूंकि गाव में सूखे खाली पड़े बोरवेल काफी सारे है इसलिए ग्राम पंचायत के कुछ सूखे खाली बोरवेल रिचार्जिंग हेतु चुने। इसके लिए हमने नदी के पास वाले बोरवेल को चुना जहां पानी की अच्छी आवक होती है।युवा मित्र समुह रोज सुबह 5:30 बजे नियत स्थान पर जाकर रोज 3 घंटे श्रमदान करते रहे और हमने इस तरह 6 फिट गहरा एक गड्ढा खोद लिया। इसके बाद कार्य बहुत धीमी गति से होने के कारण हमने जिला कलेक्टर से रेन वाटर हारवेस्टिंग के लिए सहायता माँगी। हम युवा मित्रों ने इस विषय पर जो कार्य और प्रोजेक्ट शुरु किया वह भी बताया। सारी बातें सुनकर कलेक्टर जी ने आवश्यक मदद करने के लिए आश्वासन दिया। इसके बाद हमने पंचायत के 10 बोरवेल पर बोरवेल रिचार्जिंग सिस्टम बनाने का कार्य शुरू किया । फलस्वरुप ग्राम पंचायत बिरुल बाजार द्वारा ट्यूबेल के आसपास JCB मशीन से गड्ढे खोदे गए। इसमें फिल्टर व्यवस्था के लिए मटेरियल जैसे कि गिट्टी, बजरी तथा रेत आदि कलेक्टर महोदय जी द्वारा उपलब्ध कराई। बोल्डर नही मिल पाने से मित्र इकट्ठा हुए और किसी के खेत से, रोड पर फालतू पड़े हुए तथा लोगों के कुए से निकले पत्थरों को इकट्ठा किया। इस तरह हमने 15 ट्राली से अधिक पत्थर बिने।
फलस्वरुप प्रारंभिक परिणाम आशा के अनुरूप रहे। आरंभिक बारीस के बाद ही कुछ बोरवेल में हैंड पंप द्वारा पानी आना शुरु हो गया। इन प्रयासों के परिणाम स्वरूप गाँव के कुछ अन्य किसान भी रेन वाटर हारवेस्टिंग के अन्तर्गत बोरवेल रिचार्जिंग सिस्टम अपना रहे है।